इस पार भी तुम, उस पार भी तुम
फिर कैसी ख़ुशी, और फिर कैसा ग़म
मेरी जीत में भी तुम, मेरी हार में भी तुम !
जब आँखें खुलीं मैंने पाया तुम्हें
फिर रह गया क्या अब देखने को !
फिर क्यों तड़पूं, मुझे कुछ न मिला
यह कहता फिरूं, मुझे कुछ न मिला
मुझे कुछ न मिला, मुझे कुछ न मिला !
संसार भी तुम, न संसार भी तुम
फिर कैसी ख़ुशी , फिर कैसा ग़म
इस पार भी तुम,उस पार भी तुम !
-----------------देवीदास कृत
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मेरी जीत में भी तुम, मेरी हार में भी तुम !
जब आँखें खुलीं मैंने पाया तुम्हें
फिर रह गया क्या अब देखने को !
फिर क्यों तड़पूं, मुझे कुछ न मिला
यह कहता फिरूं, मुझे कुछ न मिला
मुझे कुछ न मिला, मुझे कुछ न मिला !
संसार भी तुम, न संसार भी तुम
फिर कैसी ख़ुशी , फिर कैसा ग़म
इस पार भी तुम,उस पार भी तुम !
-----------------देवीदास कृत
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