Friday, 3 June 2016


रिझाना 

क्या खूब शब्द है रिझाना ! प्रेमी प्रेमिका को रिझाना चाहता है ! चकोर चाँद को रिझाना चाहता है ! शिष्य अपने गुरु को रिझाना चाहता है !  क्या करें ?  प्रेम का आलम ही कुछ ऐसा है !

आमिर खुशरो अपने मुर्शिद निजम्मुद्दीन औलिाया के दरबार की झूठी प्लेटें चाटना ही अपनी खुशकिस्मती समझते हैं !

हज़रात निजामुद्दीन औलिया  और आमिर खुशरो 

जलाल-उद्दिन  रूमी अपने गुरु शम्स तबरेज़ से इतनी मुहब्बत करता है कि वह उनमें और अपने में 
फरक ही नहीं कर सकता !


                                                                     जलाल - उद्दीन  रूमी 

बुल्ले शाह 
जब गुरु हज़रात शाह इनायत खान, बुल्ले शाह से किसी बात पे बहुत ही गुस्सा हो गए और अपना मुंह तक नहीं दिखाने को कहा, तो अपने रूठे हुए गुरु शाह इनायत खान क़ादरी का वियोग बुल्ले शाह नहीं सह सके ! कोई उन्हें सलाह देता है की तुम्हारे गुरु को नाच गाना बहुत ही पसंद है ! तो अपने गुरु को रिझाने के लिए बुल्ले शाह नाच सीखते हैं और अपने आप को नाचने वाली औरतों की टोली में छुपाते  हुए गुरु दरबार पहुँच जाते हैं ! डर के मारे वह दूर से नाचते हैं , गुरु के पास नहीं आते ! पर गुरु बुल्ले शाह को पहचान ही लेते हैं ! बुल्ले शाह की बेसब्री, प्रेम , वियोग और नाच ने उनके क्रोधित गुरु का दिल आखिर पिघला ही दिया !  

पर हमें कहाँ ऐसे अहोभाग्य की प्राप्ति है ? हमारा मन तो बड़ा बेईमान है ! दिल भी खोटा रखते हैं ! हम अपने गुरुदेव को रिजाने  के लिए जो सच्चा मन चाइये, वह कहाँ से लाएं ? 



गुरुदेव स्वामी राजेन्द्रजी महाराज 

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गुरु चरणों में !

अन्य फोटो क्रेडिट्स : गूगल से  फ्री  इमेजेज !

गुरुदेव स्वामी राजेन्द्रजी महाराज : अमृतवाणी के एक प्रेमी की कृपा से !